परम्परागत शिक्षण के विपरीत विषय के विभिन्न पक्षों के प्रकटीकरण द्वारा विद्यार्थियों के मस्तिष्क में एक तूफान या झंझावत उत्पन्न करने की विधि ही मस्तिष्क विपल्व है। इस विधि को विचार मन्थन /मस्तिष्क उद्वेलन/ मस्तिष्क भूचाल संवेदन आदि नामो से भी जाना जाता है। इस विधि को सन् 1950 में ऐलेक्स आसवर्न मामका विज्ञापन अधिशाषी द्वारा प्रकाश में लाया गया।
ऐलेक्स आसर्वन के अनुसार मन के दो रूप होते है।
एक रूप नये-नये विचारों का सृजन करता है। जबकि दूसरा रूप नये विचारों की आलोचना करता है। दूसरे रूप को स्थगित रखते हुए समूह में तीव्रता से नये विचार व्यक्त करना ही मस्तिष्क विप्लव है। इस नवाचार अभ्यास की मूल अवधारणा है। कि एक व्यक्ति की अपेक्षा व्यक्तियों का समूह अधिक विचार व्यक्त कर सकता है। .
चरण विलसन द्वारा 'मस्तिष्क विप्लव' विधि के निम्न आठ चरण 1987 में बताएं है।
1. परिचय:
(i) सक्रिय सहभागिता (ii) आलोचना (iii) विचार अभिव्यक्ति (iv) संख्या
(v) तारतम्यता
2. हिमभंजक
3. समस्या का परिभाषीकरण
4. समस्या का सकेन्द्रण
5. सकेंद्रित कथन का चयन
6. मस्तिष्क विप्लव
7. मुर्खतम सुझाव का चयन
8 मल्यांकन
गुण:
यह शिक्षण व्यूहरचना शिक्षार्थियों को चिन्तन और समस्या समाधान के क्षेत्र में प्रोत्साहित करती है। 2. यह शिक्षण व्यूहरचना शिक्षार्थियों में सामूहिकता का भावना का विकास करती है। 3. यह शिक्षण व्यहरचना शिक्षार्थियों में सजनात्मकता का विकास करती है। 4. समूह में विचार करने से उपयोगी और नये-नये विचार सामने आते है। 5. यह शिक्षण व्यूहरचना मानसिक शक्तियों के विकास में
सहायक है इससे ज्ञानात्मक और भावात्मक उद्देश्यों की
प्राप्ति होती है।
दोषः .
1. यह शिक्षण व्यूहरचना केवल उच्चस्तरीय कक्षाओं के लिए ही उपयोगी है। 2. मस्तिष्क विप्लव के सफल संचालन हेतु योग्य एवं कुशल अध्यापकों की आवश्यकता होती है। 3. काफी प्रयास करने के बावजूद कक्षा के सभी विद्यार्थी इसमें सक्रिय रूप से भाग नहीं ले पाते है। 4. इस विधि में शिक्षक द्वारा पक्षपात पूर्ण व्यवहार किये जाने की सम्भावना रहती है।
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