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Wednesday, February 12, 2020

पिछड़ा बालक

Backward Child or Slow Learner

Backward Child or Slow Learner



पिछड़ा बालक (Backward Child or Slow Learner)


पिछड़े बालक वे बालक होते हैं, जो शिक्षा प्राप्त करने में सामान्य बालकों से पिछड़ जाते हैं। ऐसे बालक अपनी कक्षा का औसत कार्य नही कर पाते हैं और कक्षा के सामान्य छात्रों से पीछे रहते हैं। पिछडे बालकों का मंद बुद्धि होना आवश्यक नहीं है। औसत बुद्धि बालक अथवा तीव्र बुद्धि बालक भी पिछड़ा बालक हो सकता है, यदि वह अपनी आयु के छात्रों  से कम शैक्षिक लब्धि रखता है। पिछड़े बालक को मनोवैज्ञानिक निम्न प्रकार परिभाषित करते हैं
सिरिल बर्ट: "पिछडा बालक वह है, जो अपने विद्यालय  जीवन के मध्य में अपनी कक्षा से नीचे की कक्षा के उस कार्य को न कर सके, जो उसकी आयु के बालकों के लिए सामान्य कार्य है।"
रौनल के अनुसारः आयु स्तर के बालकों की  तुलना में उल्लेखनीय शैक्षणिक कमजोरी का प्रदर्शन करता है।" 

पिछड़ेपन के कारण :

 (1) कम शारीरिक विकास
(2) परिवार का वातावरण (3) शारीरिक दोष (4) परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति (5) विद्यालयी वातावरण आदि 

पिछड़े बालक की विशेषताएं: (i) सीखने की धीमी गति (ii) जन्मजात योग्यताओ की तुलना में कम शैक्षिक-लब्धि (iii) अपनी तथा अपने से नीचे की कक्षा का कार्य करने में  असमर्थ (iv) जीवन के प्रति निराशा का भाव (v) विद्यालय के सामान्य पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधियों से लाभ उठाने में असमर्थ (vi) कुसमायोजित व्यवहार का प्रदर्शन (vii) बुद्धि लब्धि 80-89

पिछड़े बालकों की शिक्षा :

 पिछड़े बालकों को शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए कि उनका पिछड़ापन दूर करके उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़ा जा सके। इस दृष्टिकोण से पिछड़े बालकों की शिक्षा व्यवस्था निम्न प्रकार की होनी चाहिए 1. विशेष विद्यालयों की स्थापना : पिछड़े बालकों को शिक्षा देने के लिए विशेष विद्यालयों की स्थापना की
जानी चाहिए। 2.विशेष कक्षाओं का आयोजन: यदि विशेष विद्यालय स्थापित करना संभव नही हो तो फिर सामान्य विद्यालयों में ही पिछड़े बालकों के लिए विशेष कक्षाएं आयोजित की जानी चाहिए।
3.विशेष शिक्षकों की नियुक्ति की जाए।
 4. विशेष पाठ्यक्रम: पिछड़े बालकों का पाठ्यक्रम
पाठ्यक्रम से कम विस्तृत एवं बोझिल होना चाहिए।
 5. छोटे समूहों में शिक्षा : पिछड़े बालकों का शैक्षिक पिछड़ापन दूर करने के लिए उन्हे छोटे समूहो में बांट कर
शिक्षण करवाया जाना चाहिए। 
6. विशेष शिक्षण विधियों का प्रयोग : पिछड़े बालका
के शिक्षण के लिए सामान्य शिक्षण विधियों का अपमा विशेष शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाना चाहिए
ताकि वे अधिगम में रूचि ले सके।

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