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Monday, February 3, 2020

शिक्षण कौशल


Teaching skills
Teaching skills




शिक्षण कौशल 


शिक्षण एक विज्ञान है। प्रशिक्षण द्वारा अच्छे शिक्षक तैयार किये जाते हैं।

 शिक्षण कौशलों की विशेषताएं

 1. शिक्षक व्यवहार में परिवर्तन
 2.  शिक्षण की परिस्थिति उत्पन्न
 3.  शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होते हैं
 4.  प्रभावी शिक्षण में सहायक । 
 हिन्दी भाषा शिक्षण की दृष्टि से विभिन्न कौशल हो सकते है
  1.   सस्वर वाचन 
  2.  मौन वाचन
  3. उच्चारण 
  4. पाठ की प्रस्तावना
  5. पाठ का प्रस्तुतीकरण 
  6. भाषा तल-शब्दार्थ निकलवाना
  7. वर्तनी
  8.  सुलेख 
  9.  प्रश्न-पूछना 
  10.  आवृत्ति  
  11.  श्यामपट्ट कार्य
  12.   दृश्य-श्रव्य साधनों का प्रयोग 
  13.   वाद-विवाद कौशल 
  14.   व्याख्यान कौशल
  15.  उदाहरण कौशल -

पुनर्बलन कौशल 
उद्दीपन-परिवर्तन कौशल 

प्रमुख शिक्षण कौशल

1. प्रस्तावना कौशल 
2. प्रश्न सहजता कौशल 
3.खोजपूर्ण प्रश्न कौशल
 4. प्रदर्शन कौशल
 5. व्याख्या कौशल 
 6. प्रबलन कौशल
 7.श्यामपट्ट कौशल


1.प्रस्तावना कौशल-

पाठ का कक्षा में प्रारंभ उसकी प्रस्तावना से किया जाता है। प्रस्तावना पर्व ज्ञान पर आधारित होती है। कक्षा में प्रवेश करने के समय से लेकर पाठ की घोषणा करने तक करता है।
पाठ के लिए मानसिक रूप से तैयार करने की प्रस्तावना या
उत्प्रेरणा उपक्रम।
पाठ के उपस्थापन के लिए होती है। इसे “पाठोप-स्थापन"
कहते हैं। विद्यार्थियों को पूर्व ज्ञान का उपयोग करते हुए प्रस्तुत पाठ ओर उन्हें उन्मुख करे और पाठ के प्रति रुचि जाग्रत करें।
तारतम्यता 
सहायक सापग्री का उपयोग
 कथनों का पाठ्य वस्तु एवं उद्देश्यों में सम्बन्ध 
 प्रस्तावना की अवधि

  2. प्रश्न सहजता कौशल

 प्रश्न पूछने का उद्देश्य- 
प्रेरणा
रुचि एवं जिज्ञासा 
पूर्ण ज्ञान की जाँच 
नवीन अनुभव से 
सहयोग 
कठिनाई ज्ञात करना 
बोध का मूल्यांकन
मानसिक उपलब्धि 
ध्यान केन्द्रित करना 
झिझक दूर करना
दोहराना 
-प्रश्नों की विशेषताएँ-
उद्देश्य प्राप्ति 
भाषा 
नुकीले प्रश्न
विचारोत्तेजक 
संक्षिप्त तथा प्रबन्ध
 निश्चित उत्तर 
 अच्छा वितरण 
 क्रम बद्धता
आकार तथा कठिनाई का स्तर
 प्रश्न कैसे पूछे जायें 
  कक्षा के मध्य
उच्च स्वर 
स्थरता 
शीघ्रता पुनरावृत्ति नहीं
अनावश्यक वाक्य नहीं
छात्रों के नाम
 प्रश्नों का वितरण
विविधता 
प्रफुल्लित होना 
एक ही  भाषा
प्रेम तथा सहानुभूति

घटक

भाषा व्याकरण की शुद्धता
 विषय से संबंध प्रश्न 
 विशिष्टता युक्त प्रश्न 
 प्रश्नों में संक्षिप्तता 
 उचित संख्या में प्रश्न

   3. खोजपूर्ण प्रश्न कौशल

 विषय वस्तु के गहन एवं गहराई तक पहुँचने के लिए शिक्षक अपने विद्यार्थियों से खोजपूर्ण प्रश्न पूछता है। अध्यापन का यह ऐसा कौशल है कि जो छात्रों को नई सूचनाएँ खोजने, कल्पना करने आदि के लिए उत्प्रेरित करता है। छात्र को प्रश्न या अध्यापक द्वारा प्रस्तुत स्थिति से यह पता लगना चाहिए कि उसे किस दिशा में उत्तर की खोज करनी है। अगली सूचना के लिए खोजी प्रश्न और विषय वस्तु की विस्तृत जानकारी प्राप्त करना। ध्यान केन्द्रित करना अथवा विद्यार्थियों का विषय वस्तु पर पुनः केन्द्रीयकरण
  बात को अन्यान्तरित करना अथवा छात्र सहभागिता के लिए पुनः प्रेषण 
  समीक्षा-वृत्ति जगाना अथवा आलोचनात्मक सजगता

   4. प्रदर्शन कौशल

 इस कौशल में किसी विषय वस्तु को स्पष्ट करने अथवा रोचक बनाने के उद्देश्य से सहायक सामग्री का प्रदर्शन किया जाता
घटक
प्रदर्शन योजनाबद्ध 
शिक्षार्थियों का सहयोग
 स्तर के अनुकूल
  उपर्युक्त गति 
  महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश 
  समय एवं मौसम का ध्यान

    5. व्याख्या कौशल 

  घटक 
 प्रारंभिक कथन
व्याख्या कड़ियाँ 
निष्कर्षात्मक कथन
 छात्र से जाँच प्रश्न 
अवांछित व्यवहार  
अप्रासंगिक कथन सातव्य प्रभाव 
 अनुपयुक्त शब्दावली

    6. प्रबलन कौशल या पुनर्बलन कौशल

       शिक्षक द्वारा अपने विद्यार्थियों को सकारात्मक शब्दों, व्यवहार एवं माध्यम से अधिगम की प्रक्रिया से जोड़ने एवं रूचि उत्पन्न करने का कार्य करना हैं। इससे सीखने की प्रक्रिया में गतिशीलता आती है। 

 पुनर्बलन की कुशलता

बिना बताए या सिखाने पर जब कोई छात्र अच्छी अनुक्रिया करता है तब अध्यापक प्रसन्न होकर उसे शबाशी देता है, मुस्कराता है, उसकी पीठ थपथपाता है। इन कार्यों को पुनर्बलन की कुशलता कहते हैं। अधिगम में वृद्धि होती है। पुनर्बलन को धनात्मक और ऋणात्मक दो तरह का माना जाता है।
विद्यार्थियों को आन्तरिक रूप से व्यवहार परिवर्तन के लिए शक्ति देता है।
आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
 प्रबलन कौशल के घटक
  स्वीकारात्मक कथनों का प्रयोग
विद्यार्थी के उत्तरों का समर्थन 
अशाब्दिक शब्दों का उपयोग
नकारात्मक शाब्दिक कथनों का प्रयोग
 विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन 
 विद्यार्थियों के सही उत्तर श्यामपट्ट पर लिखना 
 सकारात्मक शाब्दिक प्रबलन
शाब्दिक प्रबलन
स्पर्शीय प्रबलन

श्यामपट्ट कौशल 
श्यामपट्ट-कार्य की कुशलता 
सुपाठ्यता व सुलेखन 
व्याकरणिक शुद्धता 
व्यवस्थित लेखन 
संक्षिप्तता 
उपयुक्तता 
महत्वपूर्ण बिंदु को रेखांकित करना
 सुपाठ्यता का अर्थ है कि जो कुछ लिखा जाए वह छात्रों को स्पष्ट दिखाई दे और पढ़ा जा सके। 20 फुट दूर से देखा जा सके

घटक

स्वच्छ, सुंदर एवं स्पष्ट लेखन 
शब्द या वाक्यों को सीधे लिखना श्यामपट्ट पर आवश्यक बाते ही लिखना 
चमकीले अक्षर होने चाहिए 
अक्षरों का आकार पर्याप्त होना चाहिए 
लिखने का सही क्रम होना
 एक ही भाषा का प्रयोग होना चाहिए।


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