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Sunday, February 2, 2020

संश्लेषण विधि- विश्लेषण विधि


Sanshleshan-vishleshan vidhi
Synthesis method - analysis method




विश्लेषण विधि-

समस्या को हल करने की प्रक्रिया छोटे-छोटे अंशों में विभक्त कर उनका अध्ययन व विवेचन करते हुए कार्य करते हैं। समस्या यानि अज्ञात को छोटा-छोटा तोड़कर उसकी तह में जाना व देखना कि दरअसल समस्या कहाँ है क्या है इसके लिए क्या-क्या ज्ञात होना चाहिए? इस प्रकार ज्ञात करने हेतु उपयुक्त गणितिय प्रक्रिया अपनाते हैं। इस विधि का प्रत्येक पद तर्क युक्त विधिवत् श्रृंखलाबद्ध और कारण सहित होता है।

  संश्लेषण विधि-

  संश्लेषण यानि अलग-अलग भागों को जोड़ना। इसमें ज्ञात राशियों की मदद ले अज्ञात की ओर चलते हैं अर्थात विद्यार्थी अपनी प्रदत्त सामग्री के आधार पर उस ओर बढ़ता है, जो उसे सिद्ध करना है। इस विधि का प्रयोग प्रायः ज्यामिति में किया जाता है।

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प्रो. यंग के अनुसार-संश्लेषण विधि द्वारा सूखी घास से तिनका निकाला जा सकता है परन्तु विश्लेषण विधि में स्वयं तिनका घास से बाहर निकलना चाहता है। सश्लेषण का कार्य विश्लेषण से पश्चात् होना चाहिए। आगमन-निगमन विधि की भाँति संश्लेषण-विश्लेषण विधि भी एक दूसरे की विपरीत दिखने वाली किन्तु एक दूसरे की पूरक विधियाँ हैं। ये दोनों विधियाँ कहीं न कहीं एक दूसरे को प्रभावित करने वाली व घुली-मिली भी हैं। .

संश्लेषण विधि
विश्लेषण विधि     
ज्ञात से अज्ञात की ओर
अज्ञात से ज्ञात की ओर
अनुमान से निष्कर्ष की ओर
निष्कर्ष से अनुमान की ओर
अवैज्ञानिक पद्धति
  तार्किक वैज्ञानिक
 छोटे-छोटे तथ्यों (खंडों)
को जोड़ना

  समस्या को छोटे-छोट तथ्यों (खंडों) में तोड़ना

छात्र निष्क्रय एवं शिक्षक का चिंतन क्रियाशील
 
समस्या का हल प्रस्तुत
  
छात्र एवं अध्यापक क्रियाशील
समस्या के हल की खोज

रटने की विधि

खोज की विधि


 समय शक्ति कम
समय शक्ति अधिक


इसमें उत्पति या रचना का प्रत्येक पद सही है यह प्रदर्शित किया झाता है परन्तु सही क्यों है? स्पष्ट नहीं होता।

इसमें स्पष्ट उत्तर मिलता है कि रचना का कोई पद
या उत्पत्ति का कोई पद क्यों लिया गया है?


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