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Thursday, January 30, 2020

आगमन विधि


Aagman vidhi
आगमन विधि



 
अनुभवों, प्रयोगों तथा उदाहरणों का अध्ययन करके नियम बनाये जाते हैं। यह 'विशिष्ट से सामान्य की ओर' तथा 'स्थूल से सूक्ष्म की ओर' पर आधारित हैं।
प्रत्यक्ष उदाहरणों, अनभवों तथा प्रयोगों से निष्कर्ष निकालना। जिसमें उदाहरणों की सहातया से सामान्य नियम का निर्धारण किया जाता है आगमन शिक्षण-विधि कहलाती है। आगमन या सामान्यानुमान विधि भी कहते है।

परिभाषा

जॉयसी "आगमन विशेष दृष्टान्तों की सहायता से सामान्य नियमों को विधिपूर्वक प्राप्त करने की क्रिया है।
 यंग- इस विधि में बालक विभिन्न स्थूल तथ्यों के आधार पर अपनी मानसिक शक्ति का प्रयोग करते हुए स्वयं किसी विशेष सिद्धांत , नियम से सूत्र तक पहुंचता है। 
 लैण्डल “जब बालकों के समक्ष अनेक तथ्यों, उदाहरणों एवं वस्तुओं को प्रस्तुत किया जाता है, तत्पश्चात् बालक स्वयं ही निष्कर्ष पर पहुँचने का प्रयास करते हैं, तब वह विधि आगमन विधि कहलाती है।"

आगमन विधि द्वारा शिक्षण करते समय मुख्य रूप से निम्नलिखित पदों (सोपानों) का प्रयोग किया जाता है- 
 अ. उदाहरणों का प्रस्तुतीकरण 
 ब. निरीक्षण 
 स. नियमीकरण या सामान्यीकरण 
 द. परीक्षण एवं सत्यापन 
 उदहारणों अथवा समस्यात्मक प्रश्नों की सहायता से निर्धारित नियों का परीक्षण एवं सत्यापन करते हैं। इस प्रकार उपर्युक्त सोपानों का अनुसरण करते हुए बालक आगमन विधि द्वारा ज्ञान अर्जित करते हैं तथा उनकी विभिन्न मानसिक शक्तियों का भी विकास होता है।

  आगमन विधि के गुण एवं विशेषताएं

यह मनोवैज्ञानिक विधि है, जिससे आत्म-निर्भरता व आत्मविश्वास उत्पन्न होता है क्योंकि छात्र स्वयं नियम की खोज करते हैं।
इससे, नियमों, सम्बन्धों, सूत्रों तथा नवीन सिद्धांतों आदि का प्रतिपादन करने में सहायता मिलती है। छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी एवं उपयुक्त विधि है। इस विधि द्वारा प्राप्त ज्ञान अधिक स्थाई होता है। बालकों की आलोचनात्मक निरीक्षण एवं तर्क शक्ति का विकास होता है।
छात्रों की मानसिक शक्तियों का विकास होता है। इस वैज्ञानिक विधि द्वारा अर्जित ज्ञान प्रत्यक्ष तथ्यों पर आधारित होता है।
नियम की खोज बालक स्वयं करते हैं। उनमें आत्म-विश्वास की वृद्धि होती है। बालक अधिक क्रियाशील रहते हैं। इसमें तर्क, विचार एवं निर्णय शक्ति का विकास होता है। इससे नियम, सूत्रों का निर्धारण एवं सामान्यीकरण की प्रक्रिया का
ज्ञान।

मनोहिन्दी के विभिन्न महत्वपूर्ण सिद्धांतों का अनुकरण किया जाता है।
सूक्ष्म बुद्धि एवं सूझ की वृद्धि के लिए उपयोगी है।


आगमन विधि का सीमाएं  एवं दोष


इसकी गति धीमी है, समय और परिश्रम अधिक हाता होता है। सभी स्तर के बालकों के लिए आसान नहीं है। यह निम्न कक्षाओं के लिये ही उपयोगी है । ज्ञान क्रमबद्ध नहीं होता है। अनुभवी एवं योग्य अध्यापक ही प्रयोग कर सकते है। परिणाम पूर्णतया सत्य नहीं होते हैं। प्रयोग विधि को 'आगमन विधि' भी कहा जाता है। यह सूत्रप्रणाली से सर्वथा विपरीत है। यह नियम आदि विद्यार्थियो निकलवाये जाते हैं। विद्यार्थियों के सामने उदाहरण प्रस्तुत किए जाते हैं। विद्यार्थियों की सहायता से व्यापक नियम का निर्माण किया जाता है

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